अहिल्याबाई के नेतृत्व, वैज्ञानिक दृष्टिकोण, नवाचारों का भारतीय चिंतन में पुनरुद्धार, आज की जरूरत हैं।
नीमच। म.प्र. जन अभियान परिषद द्वारा लोकमाता अहिल्याबाई होल्कर की 300वीं जयंती त्रिशताब्दी समारोह अंतर्गत व्याख्यान कार्यक्रम का आयोजन स्वामी विवेकानंद शासकीय महाविद्यालय नीमच में किया गया। आयोजन के मुख्य अतिथि एवं वक्ता प्रो. डॉ संजय जोशी, जिला समन्वयक वीरेंद्र सिंह ठाकुर ने कार्यक्रम का शुभारंभ किया।
जिला समन्वयक श्री वीरेन्द्र सिंह ठाकुर द्वारा लोकमाता अहिल्याबाई होल्कर के जीवन पर संक्षिप्त में प्रकाश डालकर आयोजन के उदेश्य से सभी को अवगत कराया।
अतिथि डॉ संजय जोशी ने कहा कि मालवा की महान शासिका अहिल्याबाई होल्कर अपनी न्यायप्रियता और समाज कल्याण के प्रति समर्पण के लिए जानी जाती हैं। उनका शासनकाल कृषि, बुनियादी ढांचे और सार्वजनिक स्वास्थ्य में महत्वपूर्ण प्रगति के साथ चिह्नित है, जिससे यह स्पष्ट होता है कि उन्होंने शासन के साथ-साथ विज्ञान की गहरी समझ को अपनाया था। उनके सुधारों और उनके शासनकाल की उपलब्धियों को आज के भारतीय चिंतन में वैज्ञानिक हस्तक्षेपों के माध्यम से पुनर्जीवित करने की आवश्यकता है, समाज कल्याण और उन्नति की दिशा में ऐतिहासिक योगदान अहिल्याबाई होल्कर को उनके ज्ञान और कुशल शासन के लिए प्रसिद्ध ब्रिटिश अधिकारी जॉन मैल्कम द्वारा भी सराहा गया था। उनके शासनकाल को न्याय, उदारता और शांति के साथ याद किया जाता है। एनी बेसेंट ने भी उन्हें एक आदर्श शासक के रूप में मान्यता दी, जिनकी सामाजिक न्याय, शिक्षा और आध्यात्मिकता के प्रति प्रतिबद्धता ने उन्हें भारतीय इतिहास की एक महान शख्सियत बनाया। अहिल्याबाई ने कृषि सुधारों में जल प्रबंधन तकनीकों को अपनाया उन्होंने बावड़ियों और जलाशयों का निर्माण कराया, जो सिंचाई और सूखे के समय जल आपूर्ति के लिए महत्वपूर्ण थे। इसके अलावा, उन्होंने बेहतर खेती के उपकरण और टिकाऊ खेती प्रथाओं जैसे फसल चक्र और मिश्रित खेती को प्रोत्साहित किया, जिससे कृषि उत्पादकता और मृदा स्वास्थ्य में वृद्धि हुई। अहिल्याबाई होल्कर का नेतृत्व, उनके वैज्ञानिक दृष्टिकोण और नवाचारों के प्रति समर्पण का भारतीय चिंतन में पुनरुद्धार, आज की जरूरत है। यह उनके द्वारा अपनाई गई विज्ञान और तकनीक की समझ को फिर से अपनाने का समय है, जिससे न केवल समाज का कल्याण हो, बल्कि देश को भी नई ऊंचाइयों तक पहुंचाया जा सके
कार्यक्रम का संचालन श्री पवन कुमरावत ने तथा आभार श्री वीरेंद्र सिंह ठाकुर ने किया। आयोजन में नवांकुर संस्थाओं, सीएमसीएलडीपी परामर्शदाता व विद्यार्थी एवं स्वैच्छिक संगठनों के सामाजिक कार्यकर्ता उपस्थित थे।