सुप्रीम कोर्ट ने श्रीकृष्ण जन्मभूमि-शाही ईदगाह मामले में हाई कोर्ट के उस आदेश को सही ठहराया है जिसमें हिंदू पक्ष को मूल वाद में संशोधन की इजाजत दी गई थी। कोर्ट ने कहा कि पहली नजर में हाई कोर्ट का आदेश सही लगता है। हालांकि मस्जिद कमेटी की अपील को मुख्य मामले के साथ संलग्न कर दिया गया है और लिखित दलीलें दाखिल करने का समय दिया गया है।
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। श्रीकृष्ण जन्मभूमि-शाही ईदगाह मामले में सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को मस्जिद कमेटी की अपील पर सुनवाई के दौरान कहा कि हिंदू पक्ष को मूल वाद में संशोधन की इजाजत देने वाला हाई कोर्ट का आदेश सही है।
प्रथम दृष्टया उसमें कुछ भी गलत नहीं दिखता। हालांकि शीर्ष अदालत ने मस्जिद कमेटी की हाई कोर्ट के आदेश को चुनौती देने वाली अपील मुख्य मामले के साथ सुनवाई के लिए संलग्न कर दी है और लिखित दलीलें दाखिल करने का समय देते हुए सुनवाई टाल दी।
इलाहाबाद HC ने दी थी ASI को पक्षकार बनाने की इजाजत
इलाहाबाद हाई कोर्ट ने गत पांच मार्च के आदेश में भगवान श्रीकृष्ण विराजमान के शाही ईदगाह पर दावा करने वाले मूल वाद में संशोधन करके भारत पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) व भारत सरकार को पक्षकार बनाने की इजाजत दे दी थी।
श्रीकृष्ण विराजमान ने मूलवाद में संशोधन की दाखिल अर्जी में कहा था कि शाही मस्जिद ईदगाह एएसआई संरक्षित स्मारक है और इसलिए इस मामले में पूजा स्थल कानून लागू नहीं होगा। इसी आधार पर अर्जी में मूलवाद में संशोधन कर एएसआइ और भारत सरकार को पक्षकार बनाने की इजाजत मांगी गई थी जिसे हाई कोर्ट ने स्वीकार कर लिया था।
मस्जिद कमेटी ने याचिका में की है ये मांग
मूल मुकदमे में हुए इस संशोधन का सीधा असर मस्जिद कमेटी की मूल वाद पर उठाई गई आपत्तियों पर पड़ता है और उसकी आपत्तियां निष्कृय हो जाती हैं। इसीलिए मस्जिद कमेटी ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल कर हाई कोर्ट के मूल वाद में संशोधन कर पक्षकार जोड़ने की इजाजत देने के आदेश को चुनौती दी है।
उसका कहना है कि हाई कोर्ट के आदेश से मूल मुकदमे की प्रकृति बदल जाती है इसलिए बीच में हाई कोर्ट संशोधन की इजाजत नहीं दे सकता। सोमवार को मस्जिद कमेटी की याचिका प्रधान न्यायाधीश संजीव खन्ना और संजय कुमार की पीठ के सामने सुनवाई पर लगी थी। जैसे ही केस सुनवाई पर आया।
CJI ने मस्जिद कमेटी की अपील पर किए ये सवाल
चीफ जस्टिस खन्ना ने मस्जिद कमेटी की अपील पर सवाल उठाते हुए वकील से कहा कि पहली नजर में हाई कोर्ट का आदेश सही लगता है। उसमें कुछ भी गलत नहीं है। शीर्ष अदालत ने सीपीसी के प्रविधानों का जिक्र करते हुए कहा कि आदेश एक, नियम दस के मामले में आदेश छह नियम 17 लागू होगा। शीर्ष कोर्ट ने मस्जिद कमेटी से कहा कि आपकी इस संबंध में दी गई दलील गलत है।
मालूम हो कि सीपीसी के ये प्रविधान किसी याचिका या मूलवाद में संशोधन से संबंधित हैं। हालांकि अंत में कोर्ट ने मस्जिद कमेटी की याचिका पहले से लंबित मुख्य याचिका के साथ संलग्न करने का आदेश देते हुए उसे लिखित दलीलें दाखिल करने के लिए समय दे दिया।
मस्जिद कमेटी की कई याचिकाएं सुप्रीम कोर्ट में लंबित हैं जिसमें मुख्य याचिका में हाई कोर्ट के उस आदेश को चुनौती दी गई है जिसमें हाई कोर्ट ने मस्जिद कमेटी की मूल वाद की सुनवाई योग्यता पर सवाल उठाने वाली याचिका खारिज कर दी थी।